नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जनगणना 2027 के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। आज केंद्रीय कैबिनेट ने ₹11,718 करोड़ का बजट मंजूर किया है, जिससे अगले दशक की सबसे बड़ी जनसंख्या गणना दूसरे तरीकों के साथ देशभर में की जाएगी। यह भारत की पहली पूरी तरह से डिजिटल जनगणना होगी, जिसे दो चरणों में आयोजित किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट की बैठक के बाद मीडिया को बताया कि सरकार ने 2027 के लिए जनगणना को अधिक आधुनिक और तकनीक पर आधारित बनाने का निर्णय लिया है। इस बार की प्रक्रिया देश में पहली बार पूरी तरह डिजिटल रूप से होगी, जिससे डेटा संग्रहण, निगरानी और परिणाम की विश्वसनीयता में सुधार होगा।
उन्हें बताया कि इस विशाल राष्ट्रीय कार्य के लिए लगभग 30 लाख फील्ड कर्मचारियों को तैनात किया जाएगा, जिनमें एन्यूमेरेटर, सुपरवाइज़र, मास्टर ट्रेनर्स और जिला जनगणना अधिकारी शामिल होंगे। डेटा संग्रहण के लिए मोबाइल ऐप्स, वेब पोर्टल्स और रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम का उपयोग किया जाएगा, जिससे जनता और प्रशासन दोनों को आसानी होगी।
दो चरणों में होगी जनगणना
अश्विनी वैष्णव ने यह भी बताया कि जनगणना को दो चरणों में किया जाएगा:
📌 पहला चरण (House Listing & Housing Census) –
यह चरण अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच होगा, जिसमें प्रत्येक घर का विवरण, सुविधाएँ, घरों की संख्या और अन्य संबंधित जानकारी एकत्र की जाएगी।
📌 दूसरा चरण (Population Enumeration / जनसंख्या गणना) –
यह गणना फरवरी 2027 में शुरू की जाएगी, जिसमें हर व्यक्ति की जनसंख्या, जाति, उम्र, रोजगार, शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक स्थिति की जानकारी जुटाई जाएगी। विशिष्ट हिमाच्छादित और कठिन क्षेत्रों में यह निर्देशित रूप से पहले या अलग समय पर आयोजित किया जा सकता है।
क्यों है यह महत्वपूर्ण?
सरकार का कहना है कि डिजिटल जनगणना से न केवल डेटा सुरक्षा और पारदर्शिता में सुधार होगा बल्कि इससे नीति-निर्माण, संसाधन वितरण और योजनाओं के क्रियान्वयन में भी मदद मिलेगी। यह प्रक्रिया तकनीकों जैसे मोबाइल एप्लिकेशन, सीएमएमएस (Census Management & Monitoring System) और वेब-मैप टूल्स की मदद से संचालित होगी।
इससे पहले की जनगणना 2011 में हुई थी, और इसके बाद लंबित रही थी। अब यह प्रक्रिया दुनिया के सबसे बड़े प्रशासनिक और सांख्यिकीय अभ्यासों में से एक के रूप में डिजिटल रूप से आगे बढ़ेगी।
आगे की तैयारी
शुरूआत से पहले डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के परीक्षण और फील्ड प्रैक्टिस को सुनिश्चित करने के लिए मॉक ड्रिल और प्री-टेस्ट प्रोग्राम भी चलाये जाएंगे, ताकि जनगणना के दौरान किसी भी तकनीकी समस्या का समाधान पहले से किया जा सके।


