नई दिल्ली:
1971 के भारत–पाकिस्तान युद्ध को भारतीय सैन्य इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय माना जाता है। इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर ऐतिहासिक और निर्णायक जीत हासिल की थी, जिससे पाकिस्तान दो हिस्सों में बंट गया और बांग्लादेश का जन्म हुआ। इस युद्ध की स्मृतियां आज भी भारतीय सेना के पास वॉर ट्रॉफियों के रूप में सुरक्षित हैं, जो उस गौरवशाली क्षण की साक्ष्य देती हैं।
पाक जनरल नियाजी की कार और रिवॉल्वर
इस युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान के जनरल नियाजी की कार और रिवॉल्वर जब्त की थी। ये ट्रॉफी न केवल युद्ध की जीत का प्रतीक हैं, बल्कि भारतीय सेना की रणनीतिक योजना और वीरता की याद दिलाती हैं। इन वॉर ट्रॉफियों को आज भी भारतीय सेना द्वारा संरक्षित किया जाता है और कभी-कभी विशेष प्रदर्शनों में जनता के सामने पेश किया जाता है।
विजय दिवस और ऐतिहासिक महत्व
हर साल 16 दिसंबर को भारत में विजय दिवस मनाया जाता है, ताकि 1971 के युद्ध में भारत की विजय और बांग्लादेश की स्वतंत्रता की याद ताजा की जा सके। इस दिन भारतीय सेना अपनी वॉर ट्रॉफीज़ और शौर्य प्रदर्शन के माध्यम से उस ऐतिहासिक जीत को याद करती है।
1971 युद्ध की याद दिलाती ये ट्रॉफियां न केवल भारत के सैन्य इतिहास का गौरवशाली हिस्सा हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए देशभक्ति और साहस का प्रतीक भी हैं।
भारतीय सेना की रणनीति और साहस
इस युद्ध में भारतीय सेना ने अपने साहस, अनुशासन और रणनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया। युद्ध के दौरान कठिन परिस्थितियों में काम करके सैनिकों ने पाकिस्तान की सैन्य ताकत को मात दी। जनरल नियाजी की हार और उनकी प्रमुख संपत्तियों का जब्ती इस जीत का प्रतीक है।
निष्कर्ष
1971 के युद्ध में भारत की यह निर्णायक जीत न केवल सैन्य रणनीति का उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि इसने क्षेत्रीय भू-राजनीति में भी महत्वपूर्ण बदलाव लाया। भारतीय सेना के पास सुरक्षित ये वॉर ट्रॉफियां आज भी उस ऐतिहासिक जीत की याद दिलाती हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

