17 Dec 2025, Wed

पाकिस्तान ने चीन, रूस और ईरान के साथ मिलकर अमेरिका को बड़ा झटका दिया

पाकिस्तान ने चीन, रूस और ईरान के साथ मिलकर अमेरिका को बड़ा झटका दिया

इस्लामाबाद/बीजिंग/मॉस्को/तेहरान।
अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति में एक नया समीकरण उभरता दिख रहा है। पाकिस्तान ने चीन, रूस और ईरान जैसे प्रभावशाली देशों के साथ मिलकर अमेरिका को कड़ा झटका दिया है। माना जा रहा है कि यह गठजोड़ न केवल एशिया बल्कि वैश्विक राजनीति पर भी बड़ा असर डाल सकता है। विशेषज्ञ इसे 21वीं सदी की नई शक्ति संतुलन की दिशा में अहम कदम मान रहे हैं।

पाकिस्तान लंबे समय से अमेरिका का पारंपरिक सहयोगी रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में दोनों देशों के रिश्तों में खटास बढ़ती गई। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी, आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान पर उठते सवाल और वित्तीय दबावों ने रिश्तों में और तनाव पैदा किया। ऐसे हालात में पाकिस्तान ने चीन, रूस और ईरान जैसे देशों की ओर रुख किया और इस नई साझेदारी ने अमेरिका के लिए एक गंभीर चुनौती खड़ी कर दी।


सहयोग के पीछे की वजह

पाकिस्तान के लिए चीन एक बड़ा आर्थिक सहयोगी है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) पहले ही दोनों देशों के बीच गहरी साझेदारी का प्रतीक है। रूस के साथ पाकिस्तान ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में नए समझौते कर रहा है। वहीं, ईरान से पाकिस्तान को न केवल तेल और गैस की आपूर्ति में मदद मिल सकती है बल्कि सीमा सुरक्षा और व्यापार को लेकर भी समझौते की संभावना है।

इन चारों देशों का साझा लक्ष्य अमेरिका की वैश्विक दखलअंदाजी को कम करना और क्षेत्रीय हितों को मजबूत करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान इस गठजोड़ के जरिए आर्थिक स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा हासिल करना चाहता है, जबकि चीन और रूस अमेरिका के बढ़ते दबाव का जवाब देने के लिए नए सहयोगी खोज रहे हैं।


अमेरिका के लिए चिंता क्यों?

अमेरिका के लिए यह साझेदारी कई मायनों में चुनौतीपूर्ण है।

  1. चीन और रूस पहले से ही अमेरिका के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी हैं।
  2. ईरान और अमेरिका के रिश्ते दशकों से तनावपूर्ण रहे हैं।
  3. अब पाकिस्तान भी इस धुरी से जुड़ गया है, जो कभी अमेरिका का प्रमुख रणनीतिक साझेदार माना जाता था।

विश्लेषकों का कहना है कि यह गठजोड़ अमेरिका के एशिया और मध्य-पूर्व में बनाए प्रभाव को कमजोर कर सकता है। विशेषकर ऊर्जा और व्यापार मार्गों पर इन चारों देशों का बढ़ता सहयोग वाशिंगटन के लिए चिंता का विषय है।


ऊर्जा और आर्थिक पहलू

रूस और ईरान ऊर्जा निर्यातक देश हैं, जबकि पाकिस्तान ऊर्जा की किल्लत से जूझ रहा है। इस गठजोड़ के जरिए पाकिस्तान को सस्ती गैस और तेल की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकती है। चीन पहले ही पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे में निवेश कर चुका है। अगर रूस और ईरान भी इसमें शामिल होते हैं, तो पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिल सकती है।

इसके अलावा, इस गठजोड़ से नए व्यापार मार्ग और परिवहन परियोजनाओं की भी संभावना है। पाकिस्तान के रणनीतिक स्थान (चीन, भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच) का लाभ सभी साझेदार देशों को मिल सकता है।


सुरक्षा और रक्षा सहयोग

पाकिस्तान और रूस के बीच रक्षा सहयोग तेजी से बढ़ रहा है। संयुक्त सैन्य अभ्यास और हथियारों की खरीद को लेकर चर्चाएँ जारी हैं। चीन पहले से ही पाकिस्तान का प्रमुख रक्षा सहयोगी है। ईरान के साथ सीमा सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी प्रयासों में सहयोग बढ़ाने की संभावनाएँ हैं।

अगर यह सहयोग और गहरा हुआ, तो यह दक्षिण एशिया और मध्य एशिया की सुरक्षा संरचना में बड़ा बदलाव ला सकता है।


वैश्विक प्रतिक्रिया

अमेरिका और उसके सहयोगी इस गठजोड़ को लेकर सतर्क हो गए हैं। वॉशिंगटन के अनुसार, पाकिस्तान को चीन और रूस जैसे देशों पर अत्यधिक निर्भर होने से बचना चाहिए। वहीं, यूरोप भी इस साझेदारी को लेकर चिंतित है क्योंकि इसका असर ऊर्जा आपूर्ति और वैश्विक व्यापार पर पड़ सकता है।

दूसरी ओर, चीन और रूस ने इस सहयोग का स्वागत किया है और इसे “क्षेत्रीय स्थिरता और विकास” के लिए अहम बताया है। ईरान ने भी इसे “नई विश्व व्यवस्था” की दिशा में एक बड़ा कदम करार दिया है।


भारत की स्थिति

भारत के लिए यह गठजोड़ नई चुनौतियाँ खड़ी कर सकता है। पाकिस्तान और चीन पहले से ही भारत के लिए रणनीतिक चुनौती रहे हैं। अब रूस और ईरान की भागीदारी से यह समीकरण और जटिल हो सकता है। हालाँकि, रूस और भारत के बीच पारंपरिक मित्रता है, लेकिन अगर रूस पाकिस्तान के साथ गहरे संबंध बनाता है, तो भारत की विदेश नीति पर असर पड़ सकता है।


आगे की राह

पाकिस्तान, चीन, रूस और ईरान का यह सहयोग अभी शुरुआती चरण में है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ये चारों देश आर्थिक और सुरक्षा क्षेत्र में ठोस कदम उठाते हैं, तो यह गठजोड़ लंबे समय तक टिक सकता है। लेकिन पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट इसमें बड़ी चुनौती बन सकते हैं।


निष्कर्ष

अमेरिका को झटका देने वाला यह नया गठजोड़ वैश्विक शक्ति संतुलन को बदलने की क्षमता रखता है। पाकिस्तान के लिए यह एक मौका है कि वह अपनी आर्थिक और ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सके। वहीं, चीन और रूस को अमेरिका के खिलाफ एक और सहयोगी मिल गया है। ईरान के लिए भी यह साझेदारी अंतरराष्ट्रीय अलगाव को तोड़ने का जरिया बन सकती है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह गठजोड़ कितनी मजबूती से आगे बढ़ पाता है।


10 मुख्य बिंदु (Highlights)

  1. पाकिस्तान ने चीन, रूस और ईरान के साथ मिलकर अमेरिका को बड़ा झटका दिया।
  2. यह गठजोड़ आर्थिक, ऊर्जा और सुरक्षा सहयोग पर आधारित है।
  3. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) साझेदारी का अहम हिस्सा है।
  4. रूस और पाकिस्तान ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में समझौते बढ़ा रहे हैं।
  5. ईरान से पाकिस्तान को सस्ती गैस और तेल की आपूर्ति संभव।
  6. अमेरिका और यूरोप इस साझेदारी को लेकर चिंतित हैं।
  7. चीन और रूस ने इसे “क्षेत्रीय स्थिरता” के लिए अहम बताया।
  8. भारत के लिए यह नया समीकरण रणनीतिक चुनौती हो सकता है।
  9. पाकिस्तान को इससे आर्थिक स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा की उम्मीद।
  10. वैश्विक राजनीति में शक्ति संतुलन बदलने की संभावना।

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